तेरी गलियों से मेरा गुजरना क्या कम हुआ , सीड़ियों पर बैठे तेरे आशिक का इंतजार मुकम्मल सा हो गया,
पर कुछ सवाल है तुझसे,
क्या तेरी पेशानी की शिकंजों को उसके होंठ ऐसे ही सेहला देते है जैसे मेरे होंठ सहलाया करते थे
क्या उसकी पास आती सांसों की गर्मी तेरे दिल की धकड़न वैसे ही बढ़ा देती है जैसे मेरी सांसे बढ़ाया करती थी
क्या सर्द रातों मे तू आज भी कम्बल छुपा देती है ताकि लिपटने का एक और बहाना मिल जाये
क्या सबाब के नशे में गुम होके तू उसको अपने सारे राज बता देती है और फिर होश मे आके वही बातें दोहरा देती है जैसे मेरे सामने दोहराया करती थी
बोलना ,,,,
क्या तू अपनी जुल्फों को अपने गालों से फिसलने देती है ताकि वो अपनी उंगुलियों से उन्हें पीछे कर सके वैसे ही जैसे मैं किया करता था
क्या वो भी तेरी आँखों में आँखें डालके शामों को रातें कर देता है जैसे मैं किया करता था क्या उसे भी दिखादी तेरी वो सारी तस्वीरें , जिसमें तू आज भी अपना बचपन खोजती है
क्या उसे भी बतादी वो सारी बातें जो तूने मुझे यह कहकर बताई थीं कि आजतक किसी को नहीं बताया
बोलना ,,,
चल इन सब सवालों का जबाब मत दे
बस एक सबाल का जबाव दे।
के क्या तू भूल गई वो रात जब कमरे मै सिर्फ हम थे मैंने तुझे कस क पकड़ा था तेरे कांधे पे सर झुका के तेरे कानो मे हलके से ये कहा था
'की कभी छोड़ना मत" और तूने कहा था कभी नहीं
बोलना ,,,......







Awesome lines
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